Sunday, December 1, 2013

C.I.D Review

Its always fascinating to go through the reviews of the hit/classic movies of yesteryears published in reputed film magazines of those time.'Filmfare' was one of the such magazine which use to publish reviews of the latest films of those times.

Today posted here is one such review of classic movie C.I.D from the pages of Filmfare 1956 issue.


   

Friday, November 22, 2013

Madhu-Kishor bond

"मधुबाला सुहागन की मौत चाहती थी । और इसी के लिए उन्होंने किशोर कुमार से विवाह किया था ।  इस दृष्टी से देखा जाये, तो यह विवाह उन दोनों के लिए सौदा भर था । लेकिन किशोर कुमार ने कभी भी इस विवाह को सौदा नहीं माना ।"

 "किशोर कुमार कुमकुम के साथ कुछ फिल्मों में अभिनय कर रहे थे ।  और इसी बात को लेकर मधुबाला कुमकुम से जलने लगी थीं । एक दिन मारे गुस्से के वे किशोर कुमार पर झपटी थीं और उन्होंने उनके कपड़े फाड़ दिए थे । इस पर भी किशोर कुमार शांत रहे । वे जानते थे, बीमारी की वजह से वे चिड़चिड़ी हो गयी थीं ।"

"मधुबाला अपनी आखिरी साँसें गिन रही थीं । किशोर आ पहुंचे । उनकी गोद में सर रख कर वे बोलीं,'मैं तुम्हे कुछ भी न दे सकी । और उन्होंने दम तोड़ दिया । वे उनके आखिरी शब्द थे ।"
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मधुबाला ने किशोर कुमार से शादी क्यों की थी ? उनके बीच के सम्बन्ध कैसे थे? मधुबाला के आखिरी दिन कैसे कटे? क्या किशोर सचमुच मधुबाला की बीमारी की वजह से उनकी उपेक्षा करने लगे थे ?

यह ऐसे कुछ सवाल हैं जो मधु और किशोर दोनों के प्रशंसक जानना चाहते हैं और जिनपर अक्सर अटकलें लगती रहती हैं ।

फ़िल्मी पत्रिका 'माधुरी' में इसाक मुजावर साहब द्वारा लिखित पुराने फ़िल्मी सितारों की अंदरूनी ज़िन्दगी पर एक समूची लेखमाला प्रकाशित हुआ करती थी जो दिलचस्प होने के साथ साथ सच्चाई के बहुत करीब हुआ करती थी ।  ऐसी ही एक लेखमाला में इसाक मुजावर ने मधुबाला-किशोर कुमार के बीच के रिश्तों को खंगाला है जिसे एक धारावाहिक के रूप में 'माधुरी' में प्रकाशित किया गया था ।
प्रस्तुत है उक्त लेखमाला की एक ऐसी ही क़िस्त के स्कैन्स आप सबके लिए ।












Monday, June 17, 2013

# Rahi's Sensibilities

राही मासूम रज़ा साहब एक संवेदनशील लेखक थे जिनके लेखन में समाज के मौजूदा हालातों पर पारखी नज़र से गौर-ओ-तफ़क्कुर किया जाता था चाहे वह समाजी क्षेत्र में हो या फ़िल्मी क्षेत्र में जिससे बाद के सालों में राही साहब जुड़े थे । संप्रदायिकता और उसके फ़िल्मी दुनिया में पड़ने वाले असरात का जायज़ा राही साहब अपने इस लेख में ले रहे हैं जो अस्सी के दशक के आरम्भ में फ़िल्मी पत्रिका 'सुषमा' में छपा था । 





















Sunday, June 9, 2013

# On the set of Upkar

Lets go to the set of movie 'Upkar' where producer-writer-director Manoj Kumar is all set to film a important song for his dream project and first directorial venture.


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Tuesday, June 4, 2013

# From Stardust

A candid and short self interview of Rajesh Khanna from pages of stardust issue of 1974.










































.....and from the same issue a pic of Amitabh dancing with Parveen Babi,can anyone tell is this pic from any movie or function or from somewhere else!





Thursday, May 30, 2013

# Story of Theaters

An article from Filmfare where famous film historian B.D.Garga throw some light over the origin of cinema theaters or cinema halls. 
Due to the big size and format of the pages they are somewhat cropped from the sides during scanning on A4 size scanner.The inconvenience caused while reading is regretted. 









































Monday, May 27, 2013

# Naya Daur Review.

Friends in the series of presenting and revisiting reviews of classic films from vintage film magazines presented herewith is the review of a all time classic movie 'Naya Daur'(1957) taken from Filmfare 13th September 1957 issue.